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- Published on: 2024-09-02 05:41 pm
हो जाता जीवन धन्य-धन्य
नित नई जीवन संघर्षों से,
जब टूटने लगा हो अंतर्मन।
तब सुख के मिले समंदर से,
हो जाता जीवन धन्य-धन्य ।।
जब फसल सुख रहा हो जलबिन,
अभिशप्त तप्त मरु वातावरण में।
फिर बरसने वाली अमृत वर्षा से,
हो जाता जीवन धन्य-धन्य ।।
संबंध नए-पुराने हों कोई भी,
गर दुःख में रहे हमेशा साथ।
सुख आने पर उन संबंधों से,
हो जाता जीवन धन्य-धन्य ।।
छोटी-छोटी खुशियों के पल।
जब बिखरे हों इधर-उधर।
समेटकर उन्हें जी लेने से,
हो जाता जीवन धन्य-धन्य ।।
जब मन की इच्छा-पूर्ति में,
हो जाए विकृत निंदित मन।
फिर अंतर्मन के उपदेशों से,
हो जाता जीवन धन्य-धन्य ।।
जब काया रोगों का घर हो,
सुख-साधन हीन गरल हो।
फिर अमृत औषध पान से,
हो जाता जीवन धन्य-धन्य ।।
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