Description
“पाठ्यक्रम का विवरण”
श्रीमद्भगवद्गीता में श्री कृष्ण योग को सनातन कहते हैं-
इमं विवस्वते योगं प्रोक्तवानहमव्ययम्।
विवस्वान् मनवे प्राह मनुरिक्ष्वाकवेऽब्रवीत्
यह भारतीय दर्शन की प्रायोगिक प्रणाली है।भारतीय परंपरा में ज्ञान का अवतरण योग के भगीरथ प्रयत्न से होता रहा है । यह सनातन योग धारा विविध महापुरुषों का अवलम्बन ले भारतीय जनमानस को पुष्ट-तुष्ट करते हुए जीवन को भागवतम बनाने का उपदेश करती रही है।योगदर्शन छः आस्तिक दर्शनों (षड्दर्शन) में से एक है। इसके प्रणेता पतञ्जलि मुनि हैं। यह दर्शन सांख्य दर्शन के ‘पूरक दर्शन’ के नाम से प्रसिद्ध है। इस दर्शन का प्रमुख लक्ष्य मनुष्य को वह मार्ग दिखाना है जिस पर चलकर वह जीवन के परम लक्ष्य (मोक्ष) की प्राप्ति कर सके।योगदर्शन तत्त्वमीमांसा के प्रश्नों में न उलझकर मुख्यतः मोक्षप्राप्ति के उपाय बताने वाले दर्शन की प्रस्तुति करता है। किन्तु मोक्ष पर चर्चा करने वाले प्रत्येक दर्शन की कोई न कोई तात्विक पृष्टभूमि होनी आवश्यक है। अतः इस हेतु योगदर्शन, सांख्यदर्शन का सहारा लेता है और उसके द्वारा प्रतिपादित तत्त्वमीमांसा को स्वीकार कर लेता है। इसलिये प्रारम्भ से ही योगदर्शन, सांख्यदर्शन से जुड़ा हुआ है।इस पाठ्यक्रम का मुख्य उद्देश्य योग के शास्त्रीय और व्यावहारिक पक्ष से परिचय करवाना है ।
निर्देशक का परिचय
डॉ विकास सिंह भारतीय दर्शन के अध्येता हैंI इन्होंने अद्वैत वेदांत में पी. एचडी. की उपाधि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के दर्शन एवं धर्म विभाग से प्राप्त की हैI योग में परास्नातक डिप्लोमा के अतिरिक्त इन्होंने दर्शनशास्त्र और योग विषयों में राष्ट्रिय पात्रता परीक्षा भी उत्तीर्ण की हैI हैंI ये भारतीय दार्शनिक अनुसन्धान परिषद के जूनियर रिसर्च फेलो भी रहे हैंI ये भारतीय ज्ञान परंपरा के अध्ययन-अध्यापन एवम निद्धिध्यासन में लगे हुए हैंIइससे पूर्व इन्होने रांची विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र पढ़ाया हैंI यौगिक परामर्श सत्र (कॉउन्सिलिंग शेसन ),यौगिक मस्तिष्क प्रशिक्षण कार्यक्रम (ब्रेन ट्रेनिंग प्रोग्राम), और स्पेशल ट्रेनिंग फॉर रिलैक्सेशन का निर्माण किया हैI योग-ध्यान के शिविरों का सञ्चालन करते रहे हैंI वर्तमान में सेंटर फॉर इंडिक स्टडीज, इंडस विश्वविद्यालय,अहमदाबाद में सहायक प्राध्यापक के पद पर कार्यरत हैंI
कुल समयावधि- 24 घंटे
एक व्याख्यान का समय- 1घंटे
प्रायोगिक सत्र का समय-30 मिनट
इस पाठ्य से आप क्या सीखेंगे-
• योग के शास्त्रीय और व्यावहारिक पक्ष से परिचय करवाना
• ‘ज्ञान, भक्ति एवं कर्म’ योग
• हठयोग एवं राजयोग में सम्बंध
• प्राण तथा भावनाओं के मध्य अन्तर्सम्बंध
• योगिक श्वसन प्रणाली प्राणायाम
• हठयोग के विविध आयामों के उच्चतर सोपानो को हठप्रदीपिका, घेरण्ड संहिता एवं शिव संहिता के आलोक में सैद्धान्तिक रूप से समझेंगे तथा इसके प्रायोगिक पक्ष के महत्व को जानेगे
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