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भारतीय ज्ञान परम्परा — 1

About This Course

यह कोर्स भारतीय ज्ञान-परम्परा, उसके वैशिष्ट्य, उसके विद्या-स्थानों, उसके ग्रन्थों और उनके वर्गीकरण एवं अन्य सम्बद्ध विषयों  से परिचय कराने वाला है। भारत की पहचान सदैव एक ज्ञान-परम्परा, एक ज्ञान-संस्कृति के रूप में रही है। अनेक प्राचीन सभ्यताएँ ज्ञान के क्षेत्र में भारत का ऋण मानती रही हैं। केवल प्राचीन समय में ही नहीं अपितु सदा ही, अद्यावधिपर्यन्त भारत ने ज्ञान का निर्यात दूसरी सभ्यताओं और संस्कृतियों को किया है। ऐसा कैसे सम्भव हुआ, कैसे भारत एक ज्ञान-परम्परा के रूप में स्थापित हुआ, ऐसे क्या कारक रहे जिनके कारण भारत में इस ज्ञानपरक संस्कृति का उद्भव और विकास सम्भव हो सका, इस समृद्ध ज्ञान-परम्परा का वैशिष्ट्य और लक्ष्य क्या है — इन सब पक्षों पर विस्तृत विचार-विमर्श इस कोर्स की विषयवस्तु में सम्मिलित है।

छः पाठों में विभक्त यह कोर्स विद्यार्थी को भारतीय ज्ञान-परम्परा, भारतीय मानस की कार्य-पद्धति, भारतीय ज्ञान-परम्परा के वैशिष्ट्य, भारतीय वाङ्मय के वर्गीकरण, काव्यशास्त्र एवं भारतीय ज्ञान-परम्परा के विद्यास्थान आदि विषयों से अवगत कराएगा।

महत्वपूर्ण सूचना: यह एक स्व अभिरुचि पाठ्यक्रम है। जहां, आप अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी समय, कहीं से भी वीडियोज के माध्यम से सीख सकते हैं। इसमें प्रशिक्षक द्वारा कोई नियमित लाइव सत्र नहीं हो रहा होगा कि आपको उसी आवंटित समय और तिथि में कक्षा करना अनिवार्य हो , इससे आपकी किसी व्यस्तता के कारण कक्षा के छूटने का भय भी दूर होगा । फलतः आप अपनी सुविधा अनुसार जब चाहे सीख सकते हैं।

What You’ll Learn

  • आप इस कोर्स में यह सीखेंगे कि भारतीय ज्ञान परंपरा क्या है और भारत में ज्ञान की क्या अवधारणा है। आप यह जानेंगे कि भारत में ‘परंपरा’ शब्द का क्या अर्थ है और ‘भारत’ शब्द और अवधारणा का क्या अर्थ है।

  • आप सीखेंगे कि भाषा की भारतीय ज्ञान परंपरा में क्या महत्ता है? आप जानेंगे दर्शन की केंद्रीय भूमिका के बारे में; ज्ञान की अपौरुषेयता; लोक और शास्त्र की अनुपूरकता जैसे सिद्धांतों के बारे में और ज्ञान के उद्देश्य के बारे में।

  • आप जानेंगे कि कैसे भारत एक पेगन संस्कृति है और भारतीय विचार पद्धति के रूपक क्या हैं। आप भारतीय वांग्मय के वर्गीकरण के बारे में विस्तार से सीखेंगे कि प्रमाणिकता की दृष्टि से, शास्त्रों की दृष्टि से और कई दृष्टियों से यह वर्गीकरण क्या है। आप सीखेंगे कि कैसे और क्यों भारत में आचार्यों और ग्रंथों की अटूट श्रंखला रही है; काव्य का प्रमुख उद्देश्य क्या है और काव्य परंपरा आखिर है क्या।

  • आप सीखेंगे शिष्ट और ब्राह्मण के सिद्धांत के बारे में। शास्त्र, काव्य, वेद, वेदांगों, विद्या स्थानों और ६४ कलाओं के बारे में। और आप सीखेंगे कि कैसे भारतीय ज्ञान परंपरा अद्वैतपरक है।


Course Curriculum

अध्याय १ - भारतीय ज्ञान परंपरा
1.1 – परंपरा – I 00:00:00
1.2 – परंपरा – II 00:00:00
1.3 – ज्ञान 00:00:00
1.4 – भारत 00:00:00
Quiz 1- Bhāratīya Jñāna Paramparā — 1 Unlimited
अध्याय २ - भारतीय मानस की कार्यपद्धति
2.1 – भाषा की केंद्रीय भूमिका 00:00:00
2.2 – दर्शन की केंद्रीय भूमिका 00:00:00
2.3 – कुम्भकार – एक आदर्श कलाकार 00:00:00
2.4 – संरचना मूलक विचार पद्धति 00:00:00
2.5 – वैश्विक व्यवस्था 00:00:00
2.6 – ज्ञान की अपौरुषेयता 00:00:00
2.7 – वाद परंपरा 00:00:00
2.8 – लोक और शास्त्र की अनुपूरकता 00:00:00
2.9 – ज्ञान मूलक संस्कृति 00:00:00
2.10 – भेद को स्वीकार कर भेद का अतिक्रमण 00:00:00
2.11 – ज्ञान का उद्देश्य – त्रिविध पापों से मुक्ति 00:00:00
2.12 – मौलिकता, सत्य और शास्त्र शब्दावली 00:00:00
Quiz 2 – Bhāratīya Jñāna Paramparā — 1 Unlimited
अध्याय ३ - भारतीय ज्ञान परंपरा का वैशिष्ट्य
3.1 – भारत: एक पेगन संस्कृति 00:00:00
3.2 – भारतीय दृष्टि में समरसता 00:00:00
3.3 – भारतीय दृष्टि में ऋत 00:00:00
3.4 – भारतीय विचार पद्धति के रूपक 00:00:00
3.5 – नेति और जिज्ञासा 00:00:00
Quiz 3 – Bhāratīya Jñāna Paramparā — 1 Unlimited
अध्याय ४ - भारतीय वाङ्मय का वर्गीकरण
4.1 – शास्त्रों की दृष्टि से वर्गीकरण 00:00:00
4.2 – प्रमाणिकता की दृष्टि से वर्गीकरण 00:00:00
4.3 – पाणिनि का वर्गीकरण 00:00:00
4.4 – कथन की प्रकृति के आधार पर वर्गीकरण 00:00:00
4.5 – वाङ्मय का वर्गीकरण – I 00:00:00
4.6 – वाङ्मय का वर्गीकरण – II 00:00:00
4.7 – वाङ्मय का वर्गीकरण – III 00:00:00
Quiz 4 – Bhāratīya Jñāna Paramparā — 1 Unlimited
अध्याय ५ - काव्य शास्त्र
5.1 – ग्रन्थ और आचार्यों की अटूट श्रंखला 00:00:00
5.2 – काव्य और ज्ञान परंपरा 00:00:00
5.3 – काव्य का वैशिष्ट्य 00:00:00
5.4 – काव्य का प्रमुख उद्देश्य 00:00:00
5.5 – काव्यानुभूति 00:00:00
5.6 – काव्य: एक ज्ञानात्मक विधा 00:00:00
5.7 – काव्य परंपरा – I 00:00:00
5.8 – परंपरा – II 00:00:00
Quiz 5 – Bhāratīya Jñāna Paramparā — 1 Unlimited
अध्याय ६ - विद्या स्थान
6.1 – विद्या 00:00:00
6.2 – शिष्ट और ब्राह्मण 00:00:00
6.3 – विद्या स्थान का महत्त्व 00:00:00
6.4 – विद्या स्थान – I – वेद और स्मृति 00:00:00
6.5 – विद्या स्थान – II – इतिहास, धनुर्वेद, गंधर्ववेद, आयुर्वेद 00:00:00
6.6 – विद्या स्थान – III – वेदांग 00:00:00
6.7 – विद्या स्थान – IV – पौरुषेय शास्त्र 00:00:00
6.8 – विद्या स्थान – V – ६४ कलाएं 00:00:00
Quiz 6 – Bhāratīya Jñāna Paramparā — 1 Unlimited
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