पाठ्यक्रम-परिचय
श्रीमद्भगवद्गीता में श्री कृष्ण योग को सनातन कहते हैं-
इमं विवस्वते योगं प्रोक्तवानहमव्ययम्।
विवस्वान् मनवे प्राह मनुरिक्ष्वाकवेऽब्रवीत्
यह भारतीय दर्शन की प्रायोगिक प्रणाली है।भारतीय परंपरा में ज्ञान का अवतरण योग के भगीरथ प्रयत्न से होता रहा है । यह सनातन योग धारा विविध महापुरुषों का अवलम्बन ले भारतीय जनमानस को पुष्ट-तुष्ट करते हुए जीवन को भागवतम बनाने का उपदेश करती रही है।योगदर्शन छः आस्तिक दर्शनों (षड्दर्शन) में से एक है। इसके प्रणेता पतञ्जलि मुनि हैं। यह दर्शन सांख्य दर्शन के ‘पूरक दर्शन’ के नाम से प्रसिद्ध है। इस दर्शन का प्रमुख लक्ष्य मनुष्य को वह मार्ग दिखाना है जिस पर चलकर वह जीवन के परम लक्ष्य (मोक्ष) की प्राप्ति कर सके।योगदर्शन तत्त्वमीमांसा के प्रश्नों में न उलझकर मुख्यतः मोक्षप्राप्ति के उपाय बताने वाले दर्शन की प्रस्तुति करता है। किन्तु मोक्ष पर चर्चा करने वाले प्रत्येक दर्शन की कोई न कोई तात्विक पृष्टभूमि होनी आवश्यक है। अतः इस हेतु योगदर्शन, सांख्यदर्शन का सहारा लेता है और उसके द्वारा प्रतिपादित तत्त्वमीमांसा को स्वीकार कर लेता है। इसलिये प्रारम्भ से ही योगदर्शन, सांख्यदर्शन से जुड़ा हुआ है।इस पाठ्यक्रम का मुख्य उद्देश्य योग के शास्त्रीय और व्यावहारिक पक्ष से परिचय करवाना है ।
पाठ्यक्रम संबंधी जानकारी
अवधि: 2 महीने
व्याख्यान: 90 मि. (सैद्धांतिक और प्रायोगिक)
आवृत्ति: सप्ताह में दो बार
स्तर: परिचयात्मक
माध्यम: हिंदी
प्रस्तुतीकरण: सीआईएस कोर्स प्लेटफॉर्म के माध्यम से ऑनलाइन
समय: नामांकित छात्रों के साथ चर्चा के बाद तय किया जाएगा
पंजीकरण की तिथि: 28th May, 2022
पाठ्यक्रम प्रारंभ होने की तिथि: 3rd June, 2022
सीमित छात्रवृत्ति उपलब्ध है: https://forms.gle/27tJHCGEZLB9JTd36
संपर्क विवरण: cis@indusuni.ac.in
पाठ्यक्रम का उद्देश्य
• योग के शास्त्रीय और व्यावहारिक पक्ष से परिचय करवाना
• ‘ज्ञान, भक्ति एवं कर्म’ योग
• हठयोग एवं राजयोग में सम्बंध
• प्राण तथा भावनाओं के मध्य अन्तर्सम्बंध
• यौगिक श्वसन प्रणाली प्राणायाम
• हठयोग के विविध आयामों के उच्चतर सोपानो को हठप्रदीपिका, घेरण्ड संहिता एवं शिव संहिता के आलोक में सैद्धान्तिक रूप से समझेंगे तथा इसके प्रायोगिक पक्ष के महत्व को जानेगे
पाठ्यक्रम की अन्य विशेषताएं
• सप्ताह में दो बार प्रशिक्षकों के साथ सजीव और संवादात्मक व्याख्यान
• विषय को व्यापक परिप्रेक्ष्य में समझने के लिए अतिथि विशेषज्ञों से संवाद
• सन्दर्भ सामाग्री जैसे लेख, जीवंत चर्चा तथा पुस्तकों और वीडियो के लिंक
• प्रश्नोत्तरी के माध्यम से आपके अधिगम को तीव्र और विशिष्ट बनाया जायेगा
• पाठ्यक्रम पूर्ण होने के बाद इंडस विश्वविद्यालय का प्रमाणपत्र
• मेधावी छात्रों को विभिन्न Indian Knowledge System (sponsored by Ministry of Education) परियोजनाओं पर काम करने का अवसर।
Course Curriculum
1. प्रथम भाग - योग इसके प्रकार एवं महत्व | |||
1.1. पतंजलि योग सूत्र का ऐतिहासिक परिचय | 00:00:00 | ||
1.2. पतंजलि योग सूत्र के चारों अध्यायों का परिचय | 00:00:00 | ||
1.3. पतंजलि योग सूत्र का सामयिक महत्व | 00:00:00 | ||
1.4. ‘ज्ञान, भक्ति एवं कर्म’ योग | 00:00:00 | ||
2. द्वितीय भाग- हठयोग और इसके विविध पहलू | |||
2.1. शरीर और मन के पारस्परिक अंतर्संबंध | 00:00:00 | ||
2.2. आसनों का उद्देश्य एवं शारीरिक अभ्यासों में अन्तर इत्यादि सीखेंगे | 00:00:00 | ||
2.3. मानसिक प्रशांति एवं शारीरिक संतुलन के प्रभाव | 00:00:00 | ||
2.4. प्रायोगिक सत्र 1 | 00:00:00 | ||
3. तृतीय भाग - प्राणायाम का सामान्य परिचय | |||
3.1. योगिक श्वसन प्रणाली प्राणायाम के विषय में जानेंगे | 00:00:00 | ||
3.2. प्राणायाम के शास्त्रीय आधार | 00:00:00 | ||
3.3. प्राणायाम और श्वसन व्यायाम में अंतर | 00:00:00 | ||
3.4. प्रायोगिक सत्र- 2 | 00:00:00 | ||
4. चतुर्थ भाग - बन्ध मुद्रा एवं नादानुसंधान | |||
4.1. पाँच प्रमुख बंध (1. मूलबंध 2. उड्डीयानबंध 3. जालंधर बंध 4. बंधत्रय और 5. महाबंध।) | 00:00:00 | ||
4.2. प्रमुख मुद्रायें (ज्ञान मुद्रा,वायु मुद्रा,वरूण मुद्रा,पृथ्वी मुद्रा,विपरीतकरणी मुद्रा, महामुद्रा आदि ) | 00:00:00 | ||
4.3. चक्र की अवधारणा और नादानुसंधान | 00:00:00 | ||
4.4. प्रायोगिक सत्र- 3 | 00:00:00 |