अद्वैत वेदांत द्वारा विश्व की समस्याओ का परिहार
चूंकि दर्शनशास्त्र विषय की प्रकृति बहुआयामी होती है अतः इस बात को कहने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए कि दर्शनशास्त्र के अन्तर्गत जो अवधारणाएं हमें परिलक्षित होती है, उनकी भी प्रकृति बहुआयामी ही होगी। यह सभ्यता बोध मनुष्य का मनुष्य से, मनुष्य का प्रकृति से मनुष्य का ईश्वर से द्वैतभाव नहीं रखता है। हमारी सभ्यता अद्वैतबोध के आधार पर निर्मित है।
Read Moreआचार्य वाचस्पतिमिश्र: व्यक्तित्व एवं कृतित्व
आज भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व में प्रायः जो किंकर्तव्यविमूढ़ता की स्थिति उत्पन्न हुई है वह आचार्य वाचस्पति मिश्र जैसे पूर्वजों द्वारा स्थापित आदर्शों की अवहेलना का ही दुःखद परिणाम हैI आज की पीढ़ी अपनी परम्परा, अपनी संस्कृति एवं अपने परिवार से भी इतनी दूर होती जा रही है कि उसे अपना हित, इष्ट या मुख्य प्रयोजन भी यथार्थ रूप में न कोई समझ पा रहा है न ही कोई कोई समझा पाने की शसक्त भूमिका में स्वयं को समर्थ पा रहा हैI
Read Moreप्राणायाम परिचय –योग ग्रंथो के आलोक में
प्राणायाम मन पर नियंत्रण, मानसिक स्थिरता शांति तथा एकाग्रता विकसित करने की पद्धति है। प्राणायाम से शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक एवं आध्यात्मिक शक्ति का विकास करना संभव होता है।
Read MoreHistory Of Asana And Exercise In India
Asana has an important place in exercise traditions as well as in spiritual traditions like classical Yoga, and there is a good deal of overlap between the two. Yet we should discriminate between these two levels of its usage. Hatha Yoga crosses over both these practices, having a connection to martial arts as well, but primarily uses asana mainly to prepare the body for meditation.
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