तकनीकीय नियतिवाद -हमारे मुक्त (आवर चॉइस) ‘निर्णय’ का अंतर्द्वंद
तकनीकी ने जहां मनुष्य को निर्बाध स्वतंत्रता और वैश्विक सुगमता का आभास दिया है ,वहीँ इसके केंद्र में बैठे हुए लोगों द्वारा इसका प्रयोग करके ना सिर्फ बड़े पैमाने पर व्यक्ति के चुनाव की स्वतंत्रता को किन्ही कंपनियों या राज व्यवस्थाओं के हाथ की कठपुतली बनाता है बल्कि सदैव के लिए इंटरनेट की तकनीकी द्वारा लाया गया नियतिवाद स्थापित हो सकता है इस क्रम में मनुष्य के मूल मूल्यों को आहरित करके राजव्यवस्था अथवा आर्थिक शक्तियों द्वारा परिभाषित किया जा सकता है और इससे मनुष्य जाति की एक शाश्वत गुलामी की परंपरा निर्मित होगी ।
Read Moreसर जे.सी. बोस के जीवन का वैज्ञानिक मूल्यांकन
अपने शोध करियर के पहले चरण में, बोस ने भौतिकी के क्षेत्र में काम किया, जो कि केवल छह साल तक ही चला। 1900-1901 में, उन्होंने भौतिक विज्ञान से शरीर क्रिया विज्ञान, विशेष रूप से पादप शरीर क्रिया विज्ञान में एक तीव्र परिवर्तन किया, वे लगभग सैंतीस वर्षों तक अपने शेष जीवन के लिए पादप शरीर क्रिया विज्ञान पर कार्य करते रहे।
Read Moreअब्राहमिक दृष्टि में वनस्पति जगत
दर्जनों महान विचारकों ने पौधों की बुद्धि केसिद्धांत दिए और उनकादस्तावेजीकरण किया है। फिर भी यह विश्वास कि पौधे अकशेरूकीय की तुलना में कम बुद्धिमान और विकसित प्राणी हैं, और यह कि "विकासवादी पैमाने" पर वे बमुश्किल निर्जीव वस्तुओं से ऊपर हैं, यह सोच हर जगह मानव संस्कृतियों में बनी रहती हैं और हमारे दैनिक व्यवहार में प्रकट होती है।
Read Moreभारतीय दार्शनिक दृष्टि में समय का विचार
समय एक रेखीय, एकल-दिशात्मक गति नहीं है, जैसे कि एक तीर अतीत से भविष्य की ओर गति करता है। यह "हमारी यांत्रिक दुनिया के एक सुविधाजनक भ्रम से ज्यादा कुछ नहीं है, जो एक जीवंत समय को एक फ्रैक्टल के आंतरिक कर्लिंग विवरण के साथ जोड़ता है।" जब हम अनंत काल की वक्रता में प्रवेश करते हैं, तो हम जीवन की सच्ची आंतरिक लय की परिपूर्णता का अनुभव करते हैं।
Read Moreद्वैत और अद्वैतवाद के मध्य दार्शनिक संवाद
भारत में द्वैतवाद का इतिहास काफी पुराना है । वेदों में इसकी आंशिक झलक भी प्राप्त होती है किन्तु व्यवस्थित रूप से सांख्य सूत्रों के रूप में यह स्थापित होता है ।द्वैतवाद में जीव, जगत्, तथा ब्रह्म को परस्पर भिन्न माना जाता है।
Read Moreनाट्यशास्त्र का सामान्य परिचय
चतुर्विध अभिनय के सहायक नृत्य, गीत, वाद्य एवं गति, वृत्ति, प्रवृत्ति और आसन का अनुसंधान भी नाट्य के अंतर्गत है। इस प्रकार अभिनय के विविध अंग एवं उपांगों के स्वरूप और प्रयोग के आकारप्रकार का विवरण प्रस्तुत कर तत्संबंधी नियम तथा व्यवहार को निर्धारित करनेवाला शास्त्र 'नाट्यशास्त्र' है।
Read Moreअद्वैत वेदांत द्वारा विश्व की समस्याओ का परिहार
चूंकि दर्शनशास्त्र विषय की प्रकृति बहुआयामी होती है अतः इस बात को कहने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए कि दर्शनशास्त्र के अन्तर्गत जो अवधारणाएं हमें परिलक्षित होती है, उनकी भी प्रकृति बहुआयामी ही होगी। यह सभ्यता बोध मनुष्य का मनुष्य से, मनुष्य का प्रकृति से मनुष्य का ईश्वर से द्वैतभाव नहीं रखता है। हमारी सभ्यता अद्वैतबोध के आधार पर निर्मित है।
Read Moreप्राणायाम परिचय –योग ग्रंथो के आलोक में
प्राणायाम मन पर नियंत्रण, मानसिक स्थिरता शांति तथा एकाग्रता विकसित करने की पद्धति है। प्राणायाम से शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक एवं आध्यात्मिक शक्ति का विकास करना संभव होता है।
Read More‘‘माया एक अद्भुत पहेली‘‘
कई विद्वान यह कहते है कि आचार्य शंकर जगत के अस्तित्व को नहीं मानते किन्तु आचार्य इस जगत के अस्तित्व को नकारते नहीं है बल्कि इसे वे व्यवहारिक सत्ता की कोटि में रखते है क्योंकि जगत को नकारने का अर्थ होता कि उनका सारा उपदेश, भाष्य यहां तक की उनका सिद्धान्त भी व्यर्थ होता।
Read Moreफ्री-विल – एक पुस्तक समीक्षा
सात अध्यायों वाली यह पुस्तक मुक्त इच्छा, इच्छा की अवचेतन उत्पत्ति,बदलते हुए विषय, ”चुनाव प्रयास,भावनाए” ,क्या सत्य हमारे लिए बुरा होगा ,नैतिक जिम्मेदारियाँ,राजनीति और निष्कर्ष नामक अध्यायों में बटी है|
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